आक़ा नें मदीने से जिसे है यहाँ भेजा | ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा / Aaqa ne madine se jise hai yahan bheja | Khwaja Mera Khwaja | Tasleem Raza Barailvi - AZHARI.XYZ

आक़ा नें मदीने से जिसे है यहाँ भेजा | ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा / Aaqa ne madine se jise hai yahan bheja | Khwaja Mera Khwaja | Tasleem Raza Barailvi

azharikhanofficial@gmail.com
1 Min Read

ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा.

आक़ा नें मदीने से जिसे है यहाँ भेजा

आने से जिसके कुफ्र का दहला है कलेजा

ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा.

वो: हिन्द के सुलतान हैं वोः हिन्द के सुलतान
ख़्वाजा मेरी जान हैं ख़्वाजा मेरी जान

ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा.

लाखों को जिसने कलमा पढ़ाया यहाँ आकर
कासे में जिसने रख दिया पूरा अना-सागर
ऊढ़ ऊढ़ के जिसकी खूब खड़ाओ पड़ी सर पर
बदला नहीं जिसका किसी हाल में लहजा

ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा.

वो: हिन्द के सुलतान हैं वोः हिन्द के सुलतान
ख़्वाजा मेरी जान हैं ख़्वाजा मेरी जान

वोः हमको खिलाते हैं वही हैं हमें पाले
है किस में इतना दम हमें भारत से निकाले
हम सब की ज़मानत तो है ख़्वाजा के हवाले
अजमेर की धरती पे हमारा तो है राजा

ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा.

तू भी ऐं नज्दी शान से भारत में रहेगा
तेरा भी तार तार ग्रेबान सिए गा
फिर तू भी मुहब्बत के हंसी जाम पिएगा
तू भी शह-ए-अजमेर के दामन में समाजा

ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा.

वो: हिन्द के सुलतान हैं सुलतान है अब भी
इस मुल्क की वोः शान थे और शान हैं अब भी
भारत में उनके दम से मुसलमान हैं अब भी
तस्लीम तू येह बात ज़माने को बताजा

नअत-ख्वां:
हज़रत तस्लीम रज़ा बरैलवी

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *