अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया / Ajmer Bulaya Mujhe Ajmer Bulaya | by zaid attari - AZHARI.XYZ

अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया / Ajmer Bulaya Mujhe Ajmer Bulaya | by zaid attari

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अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया.
अजमेर बुला कर मुझे मेहमान बनाया.

हो शुक्र अदा कैसे कि मुझ पापी को, ख़्वाजा
अजमेर बुला कर मुझे दरबार दिखाया

अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया.
अजमेर बुला कर मुझे मेहमान बनाया.

सुल्तान-ए-मदीना की मोहब्बत का भिकारी
बन कर मैं शहा, आप के दरबार में आया

दुनिया की हुकूमत दो न दौलत दो न सरवत
हर चीज़ मिली जाम-ए-मोहब्बत जो पिलाया

क़दमों से लगा लो मुझे क़दमों से लगा लो
ख़्वाजा ! है ज़माने ने बड़ा मुझ को सताया

डूबा अभी डूबा मुझे लिल्लाह सँभालो
सैलाब गुनाहों का बड़े ज़ोर से आया

हो चश्म-ए-शिफ़ा अब तो, शहा ! सू-ए-मरीज़ाँ
इस्याँ के मरज़ ने है बड़ा ज़ोर दिखाया

सरकार-ए-मदीना का बना दीजिए आशिक़
येह अर्ज़ लिए शाह कराची से मैं आया

या ख़्वाजा करम कीजिए, हों ज़ुल्मतें काफ़ूर
बातिल ने बड़े ज़ोर से सर अपना उठाया

अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया.
अजमेर बुला कर मुझे मेहमान बनाया.

अत्तार करम ही से तेरे जम के खड़ा है
दुश्मन ने गिराने को बड़ा ज़ोर लगाया

नअत-ख़्वाँ:
हज़रत ज़ेद अत्तारी

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