ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा
जो अहल-ए-खिरद थे उन्हें दीवाना बनाया
अजमेर में ख़्वाजा ने करिश्मा येह दिखाया
सागर के भरे पानी को प्याले में मंगाया
साबित क्या पानी पै भी कब्ज़ा है हमारा
ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा
जब आरज़ी राजा के बढ़ा ज़ुल्म का चर्चा
फिर अब्र-ए-करम शहर-ए-मदीना से जो उठा
अल्लाह के महबूब ने भारत जिसे भेजा
भारत की ज़मी बोली यह राजा है हमारा
ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा
एक रोज़ मक़ाबिल में वो: जेपाल जो आया
जादू से उड़ा और फिज़ा में कहीं खोया
ख़्वाजा की खड़ाओ ने सबक़ जाके सिखाया
फिर कलमा पढ़ा बोला येह आक़ा है हमारा
ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा
एक और करामात सुनोंं एक दिन हुआ ऐसा
पीतल की बनी गाय से भी दूध निकाला
यह देख हजारों ने वहीं पढ़ लिया कलमा
सब ने कहा बस एक ही दाता है हमारा
ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा
तैबा से बहार आई है अजमेर चलो ना
रहमत की घटा छाई है अजमेर चलो ना
ख़्वाजा की छटी आई है अजमेर चलो ना
अजमेर भी जावेद मदीना है हमारा
नअत-ख्वां:
हज़रत मुहम्मद अली फैज़ी
जो अहल-ए-खिरद थे उन्हें दीवाना बनाया | ख़्वाजा है हमारा मेरा ख़्वाजा है हमारा / Jo ahl-e-khirad the unhe deewana banaya | Khwaja hai hamara Mera Khwaja hai hamara | by Muhammad Ali Faizi
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