शहर-ए-तयबा का वो: बाज़ार बड़ा प्यारा है.
हम ग़ुलामों का ख़रीदार बड़ा प्यारा है.
रोज़ कहती है मदीने में उतर के जन्नत
या-नबी आप का दरबार बड़ा प्यारा है
देख कर कहते थे सिद्दीक़ को मेरे आक़ा
ऐं सहाबा येह मेरा यार बड़ा प्यारा है
यूँ तो इज़हार-ए-मुहब्बत है किया कितनों नें
ऐं बिलाल आप का इज़हार बड़ा प्यारा है
उन के गुस्ताख़ को मारा है छपी है येह ख़बर
वा-क़ई आज का अख़बार बड़ा प्यारा है
बंधने वाले हैं मोहब्बत के अमामे सर पर
आज का मौक़ा-ए-दस्तार बड़ा प्यारा है
शहर-ए-तयबा का वो: बाज़ार बड़ा प्यारा है.
हम ग़ुलामों का ख़रीदार बड़ा प्यारा है
ऐं ग़ज़ाली जो छुपाएगा हमें महशर में
वो: वसी दामन-ए-सरकार बड़ा प्यारा है
न’अत-ख़्वाँ:
हज़रत ग़ुलाम ग़ौस ग़ज़ाली
शहर-ए-तयबा का वो बाज़ार बड़ा प्यारा है / Shahr-e-Tayba Ka Wo Bazar Bada Pyara Hai | by gulam gaus gazali
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